Pradeep Sharma Latest News Pradeep Sharma Total Encounter 2024

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हाई कोर्ट जज रेवती मोहिते डेरे और गौरी गोरसे की बेंच ने फैसला सुनाते हुए प्रदीप शर्मा को 2006 में हुए फेक एनकाउंटर का दोषी पाया और इसी केस में सजा सुनाई गई है इसके अलावा कोर्ट ने इस एनकाउंटर में शामिल 13 अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा दी है जिसमें से 12 पुलिस वाले हैं मामला क्या था दरअसल ये फेक एनकाउंटर था राम नारायण गुप्ता और लखन भैया का लखन अंडरवर्ल्ड के गैंगस्टर छोटा राजन का सहयोगी माना जाता था प्रदीप शर्मा पहले इस केस से बरी हो गए थे लेकिन कोर्ट ने सबूतों के मद्देनजर उन्हें दोषी पाया और सजा सुना दी यह पहली बार था जब पुलिस अफसरों को फेक एनकाउंटर केस में सजा हुई हो मामला कुछ ऐसा ही था जब इस केस के बारे में बात की जाती है तो लगता है मानो पूरी प्लानिंग के तहत इसे अंजाम दिया गया था

मुंबई के वाशी इलाके में रहने वाले 33 वर्ष राम नारायण गुप्ता और फ लखन भैया की 11 नवंबर 2006 को हत्या कर दी गई थी यह हत्या मुंबई के वर्सोवा में पूरी प्लानिंग के साथ हुई इसके लिए बाकायदा एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी गठित की गई थी एसआईटी का नेतृत्व प्रदीप शर्मा नाम के पुलिस अफसर कर रहे थे एनकाउंटर के बाद आरोप लगे कि प्रदीप शर्मा ने लखन भैया से खफा चल रहे उसके पूर्व बिजनेस पार्टनर के साथ मिलकर इस एनकाउंटर की साजिश रची ताकि लखन को रास्ते से हटाया जा सके आरोपों के बाद केस हुआ ट्रायल कोर्ट में सुनवाई चली कोर्ट ने प्रदीप शर्मा को जुलाई 2013 में बरी कर दिया और मामले में तीन अन्य पुलिस कर्मियों को मर्डर का दोषी करार दिया इन पुलिस वालों के नाम है इंस्पेक्टर प्रदीप सूर्यवंशी इंस्पेक्टर दिलीप पाला और कांस्टेबल तानाजी देसाई बाकी 18 आरोपियों को एनकाउंटर के लिए उकसाने का दोषी पाया गया था

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केस में अभियोग पक्ष ने 110 गवाहों को प्रस्तुत किया था जबकि आरोपी अपने डिफेंस में केवल दो ही गवाला पाए थे इस केस को लड़ने में लखन के भाई राम प्रसाद गुप्ता का अहम रोल रहा प्रदीप शर्मा को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर राम प्रसाद गुप्ता ने हाई कोर्ट में अपील दाय की इस अपील में अन्य 12 पुलिस अफसरों के लिए भी फांसी की सजा मांगी गई जो एनकाउंटर टीम का हिस्सा थे इस एनकाउंटर के अलावा एक और वीभत्स हत्या इस मामले से जुड़ी हुई है

जब ट्रायल कोर्ट में कारवाही चल रही थी तभी मामले के मुख्य गवाह अनिल भेड़ा को अगवा कर उसकी हत्या कर दी गई थी 13 मार्च 2011 को अनिल भेड़ा को आग लगाकर मार दिया गया हत्या का ढंग इतना विभ था कि भेड़ा की बॉडी की पहचान भी केवल डीएनए से ही की जा सकी इस घटना को लेकर भी बमबे हाई कोर्ट ने खूब फटकार लगाई कोर्ट ने कहा यह शर्म की बात है कि मुख्य गवाह की जांच चली गई और आज तक किसी पर मामला दर्ज नहीं किया गया यह इंसाफ का मजाक है हमने वीडियो की शुरुआत में कहा था एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ऐसा इसलिए क्योंकि इस केस में दोषी पाए गए प्रदीप शर्मा की छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की रही है

लाइव ब्लॉक की एक रिपोर्ट के मुताबिक शर्मा ने 25 साल के अपने पुलिसिंग करियर में 112 गैंगस्टर्स के एनकाउंटर किए थे प्रदीप शर्मा 1985 बैच के महाराष्ट्र पुलिस के अफसर थे उनकी सेवाएं 2008 में बर्खास्त कर दी गई थी उस वक्त उन्हें अंडरवर्ल्ड के साथ कनेक्शन होने और गैर कानूनी ढंग से 3000 करोड़ जुटाने के आरोप में बर्खास्त किया गया था लेकिन 2009 में इन आरोपों से प्रदीप शर्मा बरी हो गए और उन्हें वापस इंस्पेक्टर बना दिया गया मगर यह दौर ज्यादा लंबा नहीं चला और जनवरी 2010 में उन्हें दोबारा अरेस्ट करके बर्खास्त कर दिया गया इस बार य अरेस्ट कारवाई लखन भैया हत्या मामले में हुई थी

हालांकि ट्रायल कोर्ट ने 2013 में उन्हे इस मामले से बरी भी कर दिया था लेकिन प्रदीप शर्मा का रिकॉर्ड बहुत सारे संदे हों से भरा रहा है उनका नाम एंटीलिया बॉम स्क्वेयर और मनसुख रेन मज मामने में भी आया और 2021 में फिर से अरेस्ट हो गए इस मामले में 2023 में प्रदीप शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने बेल दे दी थी यह मामला भी बड़ा हाई प्रोफाइल था 25 फरवरी 2021 को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर इं टीलिया के सामने कार खड़ी मिली थी उसके अंदर से विस्फोटक जिलेटिन की 20 छड़े बरामद हुई थी 5 मार्च को इस कार के मालिक मनसुख रेन का शव थाने से बरामद हुआ इस केस से प्रदीप शर्मा को बेल तो मिल गई मगर मामले में अभी फाइनल जजमेंट नहीं आया है उससे पहले इस केस में प्रदीप शर्मा को उम्र कैद हो गई जैसा कि हमने आपको पह पहले बताया कि फेक एनकाउंटर का ये पहला मामला था जिसमें पुलिस को दोषी पाकर उम्र कैद की सजा दी गई है लेकिन ऐसा नहीं है कि एनकाउंटर इकलौता ऐसा एनकाउंटर होगा जो विवादों के घेरे में आया हो कई ऐसे एनकाउंटर हुए हैं जिन पर सवाल खड़े होते रहते हैं

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ऐसे एनकाउंटर्स पर कब फैसले आएंगे इसका इंतजार रहेगा मगर इंतजार करने के साथ-साथ एक बात पर विचार जरूर किया जा सकता है देश संविधान से चलता है नियम कानूनों से चलता है और नियम कानून अच्छी तरह माने जाए इसी के लिए पुलिस के हाथ में डंडा दिया गया है पुलिस को दिए गए हथियार यूं ही नहीं चलाए जा सकते हर अपराधी को सजा देने का बराबर प्रोसेस है और अदालत ही इसका फैसला करती है ऐसे में पुलिस ही अदालत बनकर एनकाउंटर करने लग जाए आरोपियों को अपनी बंदूकों से सजा देने लग जाए और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट जैसी संज्ञा एं चर्चित हो जाएं तो जरूर सवाल खड़े होंगे यह फैसला सबक है देश के उन तमाम पुलिस अधिकारियों के लिए जो सत्ता की सरपरस्ती और वर्दी की पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं मेडल और पदोन्नति के लिए गोलियों का बेजा इस्तेमाल करते हैं

समझना जरूरी है क्योंकि वक्त नहीं लगता वक्त बदलने में एक वक्त था जब यही प्रदीप शर्मा अखी मुंबई के हीरो थे आज विलन बन गए हैं सलाखों के पीछे हैं जरूरी सूचना ललन टॉप के पॉलिटिकल शो जमघट में इस बार के हमारे मेहमान हैं केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले टीवी पर इनकी शेरो शायरी आपने खूब सुनी होगी अब लल्लन टॉप के मंच पर सुनिए उनकी ये शायरी लिखता कौन है यह भी पता चलने वाला है साथ ही कुछ तीखे सवाल तो पूछे ही जाएंगे कुर्सी की पेटी बांध लीजिए पूरा इंटरव्यू आपके लिए आ रहा है बुधवार 20 मार्च शाम 6:00 बजे सिर्फ ललन टॉप पर सूचना समाप्त इस वीडियो पर आपकी क्या राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखकर बताएं इसे आपके लिए लिखा था शंख पुष्पी मानसिक तनाव और दिमागी ताकत बढ़ाने में लाभकारी एक दौर था जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड का बोलबाला हुआ करता था फिर एक दौर आया जो उस दौर को खत्म करने में लग गया

मुंबई में ताबड़तोड़ एनकाउंटर्स हुए गैंगस्टर्स का सपा होने लगा तो पुलिस वालों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का तमगा मिलने लगा वो हीरो बनाए जाने लगे अब तक 56 जैसी फिल्में बनने लगी हीरो बनते जा रहे पुलिस वालों ने एक वक्त के बाद लकीरें फानी शुरू कर दी मेडल और लो प्रिता के लिए बेकसूर के भी सीने में पीतल भरने से उन्होंने वोरेज नहीं किया ऐसा ही एक नाम प्रदीप शर्मा का है एक वक्त के हीरो और आज के विलन क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 19 मार्च को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस अफसर प्रदीप शर्मा को अमर कैद की सजा सुना दी हाई कोर्ट जज रेवती मोहिते डेरे और गौरी गोरसे की बेंच ने फैसला सुनाते हुए प्रदीप शर्मा को 2006 में हुए फेक एनकाउंटर का दोषी पाया और इसी केस में सजा सुनाई गई है

इसके अलावा कोर्ट ने इस एनकाउंटर में शामिल 13 अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा दी है जिसमें से 12 पुलिस वाले हैं मामला क्या था दरअसल ये फेक एनकाउंटर था राम नारायण गुप्ता और लखन भैया का लखन अंडरवर्ल्ड के गैंगस्टर छोटा राजन का सहयोगी माना जाता था प्रदीप शर्मा पहले इस केस से बरी हो गए थे लेकिन कोर्ट ने सबूतों के मद्देनजर उन्हें दोषी पाया और सजा सुना दी यह पहली बार था जब पुलिस अफसरों को फेक एनकाउंटर केस में सजा हुई हो मामला कुछ ऐसा ही था जब इस केस के बारे में बात की जाती है तो लगता है मानो पूरी प्लानिंग के तहत इसे अंजाम दिया गया था

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मुंबई के वाशी इलाके में रहने वाले 33 वर्ष राम नारायण गुप्ता और फ लखन भैया की 11 नवंबर 2006 को हत्या कर दी गई थी यह हत्या मुंबई के वर्सोवा में पूरी प्लानिंग के साथ हुई इसके लिए बाकायदा एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी गठित की गई थी एसआईटी का नेतृत्व प्रदीप शर्मा नाम के पुलिस अफसर कर रहे थे एनकाउंटर के बाद आरोप लगे कि प्रदीप शर्मा ने लखन भैया से खफा चल रहे उसके पूर्व बिजनेस पार्टनर के साथ मिलकर इस एनकाउंटर की साजिश रची ताकि लखन को रास्ते से हटाया जा सके आरोपों के बाद केस हुआ ट्रायल कोर्ट में सुनवाई चली कोर्ट ने प्रदीप शर्मा को जुलाई 2013 में बरी कर दिया और मामले में तीन अन्य पुलिस कर्मियों को मर्डर का दोषी करार दिया इन पुलिस वालों के नाम है इंस्पेक्टर प्रदीप सूर्यवंशी इंस्पेक्टर दिलीप पाला और कांस्टेबल तानाजी देसाई बाकी 18 आरोपियों को एनकाउंटर के लिए उकसाने का दोषी पाया गया था

केस में अभियोग पक्ष ने 110 गवाहों को प्रस्तुत किया था जबकि आरोपी अपने डिफेंस में केवल दो ही गवाला पाए थे इस केस को लड़ने में लखन के भाई राम प्रसाद गुप्ता का अहम रोल रहा प्रदीप शर्मा को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर राम प्रसाद गुप्ता ने हाई कोर्ट में अपील दाय की इस अपील में अन्य 12 पुलिस अफसरों के लिए भी फांसी की सजा मांगी गई जो एनकाउंटर टीम का हिस्सा थे इस एनकाउंटर के अलावा एक और वीभत्स हत्या इस मामले से जुड़ी हुई है जब ट्रायल कोर्ट में कारवाही चल रही थी तभी मामले के मुख्य गवाह अनिल भेड़ा को अगवा कर उसकी हत्या कर दी गई थी 13 मार्च 2011 को अनिल भेड़ा को आग लगाकर मार दिया गया हत्या का ढंग इतना विभ था कि भेड़ा की बॉडी की पहचान भी केवल डीएनए से ही की जा सकी इस घटना को लेकर भी बमबे हाई कोर्ट ने खूब फटकार लगाई कोर्ट ने कहा यह शर्म की बात है कि मुख्य गवाह की जांच चली गई और आज तक किसी पर मामला दर्ज नहीं किया गया यह इंसाफ का मजाक है

 एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ऐसा इसलिए क्योंकि इस केस में दोषी पाए गए प्रदीप शर्मा की छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की रही है लाइव ब्लॉक की एक रिपोर्ट के मुताबिक शर्मा ने 25 साल के अपने पुलिसिंग करियर में 112 गैंगस्टर्स के एनकाउंटर किए थे प्रदीप शर्मा 1985 बैच के महाराष्ट्र पुलिस के अफसर थे उनकी सेवाएं 2008 में बर्खास्त कर दी गई थी उस वक्त उन्हें अंडरवर्ल्ड के साथ कनेक्शन होने और गैर कानूनी ढंग से 3000 करोड़ जुटाने के आरोप में बर्खास्त किया गया था लेकिन 2009 में इन आरोपों से प्रदीप शर्मा बरी हो गए और उन्हें वापस इंस्पेक्टर बना दिया गया मगर यह दौर ज्यादा लंबा नहीं चला और जनवरी 2010 में उन्हें दोबारा अरेस्ट करके बर्खास्त कर दिया गया इस बार य अरेस्ट कारवाई लखन भैया हत्या मामले में हुई थी

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हालांकि ट्रायल कोर्ट ने 2013 में उन्हे इस मामले से बरी भी कर दिया था लेकिन प्रदीप शर्मा का रिकॉर्ड बहुत सारे संदे हों से भरा रहा है उनका नाम एंटीलिया बॉम स्क्वेयर और मनसुख रेन मज मामने में भी आया और 2021 में फिर से अरेस्ट हो गए इस मामले में 2023 में प्रदीप शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने बेल दे दी थी यह मामला भी बड़ा हाई प्रोफाइल था 25 फरवरी 2021 को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर इं टीलिया के सामने कार खड़ी मिली थी उसके अंदर से विस्फोटक जिलेटिन की 20 छड़े बरामद हुई थी 5 मार्च को इस कार के मालिक मनसुख रेन का शव थाने से बरामद हुआ इस केस से प्रदीप शर्मा को बेल तो मिल गई मगर मामले में अभी फाइनल जजमेंट नहीं आया है

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उससे पहले इस केस में प्रदीप शर्मा को उम्र कैद हो गई जैसा कि हमने आपको पह पहले बताया कि फेक एनकाउंटर का ये पहला मामला था जिसमें पुलिस को दोषी पाकर उम्र कैद की सजा दी गई है लेकिन ऐसा नहीं है कि एनकाउंटर इकलौता ऐसा एनकाउंटर होगा जो विवादों के घेरे में आया हो कई ऐसे एनकाउंटर हुए हैं जिन पर सवाल खड़े होते रहते हैं ऐसे एनकाउंटर्स पर कब फैसले आएंगे इसका इंतजार रहेगा मगर इंतजार करने के साथ-साथ एक बात पर विचार जरूर किया जा सकता है देश संविधान से चलता है नियम कानूनों से चलता है

और नियम कानून अच्छी तरह माने जाए इसी के लिए पुलिस के हाथ में डंडा दिया गया है पुलिस को दिए गए हथियार यूं ही नहीं चलाए जा सकते हर अपराधी को सजा देने का बराबर प्रोसेस है और अदालत ही इसका फैसला करती है ऐसे में पुलिस ही अदालत बनकर एनकाउंटर करने लग जाए आरोपियों को अपनी बंदूकों से सजा देने लग जाए और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट जैसी संज्ञा एं चर्चित हो जाएं तो जरूर सवाल खड़े होंगे यह फैसला सबक है देश के उन तमाम पुलिस अधिकारियों के लिए जो सत्ता की सरपरस्ती और वर्दी की पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं मेडल और पदोन्नति के लिए गोलियों का बेजा इस्तेमाल करते हैं समझना जरूरी है क्योंकि वक्त नहीं लगता वक्त बदलने में एक वक्त था जब यही प्रदीप शर्मा अखी मुंबई के हीरो थे आज विलन बन गए हैं सलाखों के पीछे हैं

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